बसपा सुप्रीमो मायावती का तीखा वार | सपा और भाजपा दोनों पर बोला हमला
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर दलित वोटों के लिए तनाव और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने सपा की बयानबाजी और कार्यक्रमों को संकीर्ण, स्वार्थी राजनीति बताया। मायावती ने दलितों, पिछड़ों और मुसलमानों से अपील की है कि वे समाजवादी पार्टी के बहकावे में न आएं। बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला किया।
उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित है कि अन्य दलों की तरह सपा भी अपने विवादित बयानों, आरोप-प्रत्यारोपों तथा कार्यक्रमों आदि के माध्यम से अपने पार्टी सदस्यों, विशेषकर दलितों को आगे रखकर तनाव व हिंसा का माहौल पैदा कर रही है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी राजनीति अत्यंत संकीर्ण सोच वाली है। क्योंकि सपा दलित वोटों के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
मायावती ने कहा, “इसलिए दलितों के साथ-साथ अन्य पिछड़े वर्गों और मुसलमानों को इस पार्टी के राजनीतिक षड्यंत्रों का शिकार होने से बचना चाहिए और इसके किसी भी कट्टरपंथी उकसावे में नहीं आना चाहिए। इसके अलावा, दूसरों के इतिहास पर टिप्पणी करने के बजाय, ऐसी पार्टियों से जुड़े अवसरवादी दलितों को यह बताना उचित होगा कि इन गुरुओं, संतों और महापुरुषों ने समाज के लिए कितना अच्छा काम और संघर्ष किया है।” “कुछ करने में सक्षम।” बुधवार को मायावती ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की।
पार्टी संगठन की समीक्षा
बैठक में दोनों राज्यों में पार्टी संगठन की समीक्षा की गई। बैठक में बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि समाज के करोड़ों गरीब बहुजनों के वाजिब हितों, कल्याण व विकास के लिए काम करने के बजाय, सपा सरकार की तरह डबल इंजन वाली भाजपा सरकार केवल कुछ क्षेत्रों व एक वर्ग विशेष के लिए समर्पित है और ऐसा ही दिखना चाहती है, जिससे उत्तर प्रदेश का बहुप्रतीक्षित व वांछित विकास प्रभावित हो रहा है।
चारों बसपा सरकारों में सर्वसमाज को न्याय दिलाने तथा उन्हें विकास में योग्य भागीदार बनाने पर विशेष जोर दिया गया, साथ ही कानून के माध्यम से कानून का राज सख्ती से स्थापित करने के साथ-साथ करोड़ों दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, किसानों, बेरोजगारों व अन्य वंचित लोगों के हितों की रक्षा करने तथा उन्हें सुरक्षा व न्याय दिलाने पर विशेष जोर दिया गया, जिससे सर्वत्र शांति व न्याय का माहौल कायम हुआ। इसलिए यह जरूरी है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की भाजपा सरकारें धर्म को धर्म के बजाय कर्म मानने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाएं, जिसमें जनहित और राष्ट्रहित पूरी तरह से निहित है।